हज़रत अली अलैहिस्सलाम पैगंबर मोहम्मद साहब के चचेरे भाई एवं दामाद थे l सुन्नी समुदाय के लोग हज़रत अली अलैहिस्सलाम को अपना चौथा खलीफा मानते हैं और शिया समुदाय के लोग अपना पहला इमाम मानते हैं l हज़रत अली अलैहिस्सलाम का एक खलीफा के तौर पर शासन काल 4 साल का था जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव कोफी अन्नान के द्वारा इस्लाम का स्वर्ण युग घोषित किया गया है l हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शासनकाल में गरीब -अमीर , मालिक - गुलाम , मर्द - औरत , मुस्लिम - गैर मुस्लिम सबसे समरूपता से पेश आया जाता था और सब को बराबर का दर्जा दिया जाता था l हजरत अली के शासनकाल में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोया l हजरत अली इतने बड़े इस्लामी राज्य के खलीफा थे परंतु वे कभी महलों में नहीं रहे l वह प्रजा के बीच एक मामूली से घर में रहते थे जो कि आज भी इराक के नगर कूफा में मौजूद है l हजरत अली की अर्थनीति एवं कानून व्यवस्था इतने उच्च श्रेणी की थी कि जब वह अपना निजी कार्य करते थे तो सरकारी चिराग भी हटा देते थे और अपने घर से अपना निजी चिराग मंगवाते थे l इससे हजरत अली ने यह संदेश दिया कि खलीफा हो या सामान्य व्यक्ति ईश्वर की दृष्टि में सब एक समान है किसी को अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए l हज़रत अली अलैहिस्सलाम रात के अंधेरे में गरीबों के घरों में खाने की थैलियां पहुंचाया करते थे l हज़रत अली अलैहिस्सलाम बच्चों से बहुत प्रेम करते थे खासतौर पर अनाथ बच्चों से l जब भी किसी अनाथ बच्चे को कोई परेशानी होती थी तो वह सीधे हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास जाता था l हज़रत अली अलैहिस्सलाम अनाथ बच्चों को अपनी गोदी में बैठाकर अपने हाथों से खाना खिलाया करते थे l इसी कारण उन्हें "अबुल अइताम" कहा जाता है जिसका अर्थ होता है अनाथों का पिता l मुसलमानों से ज्यादा गैरमुसलमान हज़रत अली अलैहिस्सलाम से प्रेम करते थे l जब हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत हुई तब एक यहूदी तड़प तड़प कर रोने लगा लोगों ने उससे पूछा तो उसने बताया कि एक बार मैं बसरे से अपने कबीले आ रहा था और मेरे साथ एक सज्जन थे जिन्हें कूफा जाना था रास्ते में मेरी उनसे बहुत अच्छी दोस्ती हो गई कुछ देर बाद मेरा और उनका रास्ता अलग हो गया मुझे अपने कबीले जाना था और उन्हें कूफा जाना था परंतु मैंने देखा कि वह मेरे साथ साथ चल रहे हैं मैंने उनसे प्रश्न किया कि आपको तो कूफा जाना है आप मेरे साथ क्यों चल रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह मेरे नबी की शिक्षाओं में से है कि अगर किसी के साथ यात्रा कर रहे हो तो उसे तब तक मत छोड़ो जब तक उसकी अनुमति ना हो l उन सज्जन ने मुझे मेरे घर तक पहुंचाया तब वे लौटे l बाद में मेरे कबीले के एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि जिन सज्जन के साथ तुम आए हो क्या तुम उन्हें जानते हो तो मैंने उत्तर दिया नहीं l तब मेरे कबीले के उस व्यक्ति ने बताया कि यह इस्लामिक राज्य के खलीफा हज़रत अली अलैहिस्सलाम है l हज़रत अली अलैहिस्सलाम की इन्हीं सब खूबियों पर समाज के भ्रष्ट लोग उनसे नफरत करने लगे और उनकी हत्या का मंसूबा बनाने लगे l पहले उन लोगों ने हजरत अली को गृह युद्ध में फसाया परंतु हजरत अली अलैहिस्सलाम ने प्रेम और अच्छाई के द्वारा उस ग्रह युद्ध को समाप्त किया l फिर समाज के भ्रष्ट व्यक्तियों ने इब्ने मुलजिम नामक एक व्यक्ति को खरीदा और उससे कहा कि वह हजरत अली अलैहिस्सलाम की हत्या कर दे l 19 रमजान की सुबह हजरत अली कूफे की मस्जिद में सुबह की नमाज पढ़ा रहे थे जैसे ही वह सजदे में गए तभी इब्ने मुलजिम नें जहर में डूबी हुई तलवार से हज़रत अली अलैहिस्सलाम पर ऐसा प्रहार किया कि वे बुरी तरह जख्मी हो गए l जब हकीम को बुलाया गया तो उसने कहा कि जहर पूरे शरीर में फैल गया है अब यह बच नहीं सकते आप लोग इन्हें ज्यादा से ज्यादा दूध पिलाइए इससे इन को राहत मिलेगी l जब हज़रत अली अलैहिस्सलाम के सामने दूध लाया गया तो उन्होंने अपने बेटे इमाम हसन से कहा कि बेटा इसे इब्ने मुलजिम को पिला दो वह प्यासा है बार बार अपने होठों पर जबान फेर रहा है l इब्ने मुलजिम के हमले से हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पूरे शरीर में जहर फैल चुका था जिसके कारण उनकी 21 रमजान को शहादत हो गई l हर साल 21 रमजान को हज़रत अली अलैहिस्सलाम के चाहने वाले शोक मनाते हैं जुलूसों एवं मजलिसों का आयोजन करते हैं l
Salam;; A Society of indian Muslim's yeh society islamic (sms) mobile per bhejte hai jisme Masumeen(a.s) k aqwal aur india me kahe bhi hone wale shia`o k program k details msg k zariya gher gher phuchate hai Humari society k Member india k 40 citiy me hai ager aap shia hai to humari society se jurd sakte hai
Thursday, June 7, 2018
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हज़रत अली अलैहिस्सलाम पैगंबर मोहम्मद साहब के चचेरे भाई एवं दामाद थे l सुन्नी समुदाय के लोग हज़रत अली अलैहिस्सलाम को अपना चौथा खलीफा मानते...